GETTING MY HINDI STORY TO WORK

Getting My hindi story To Work

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(एक) खजूर के वृक्षों की छोटी-सी छाया उस कड़ाके की धूप में मानो सिकुड़ कर अपने-आपमें, या पेड़ के पैरों तले, छिपी जा रही है। अपनी उत्तप्त साँस से छटपटाते हुए वातावरण से दो-चार केना के फूलों की आभा एक तरलता, एक चिकनेपन का भ्रम उत्पन्न कर रही है, यद्यपि अज्ञेय

As we embark with a literary odyssey, we dig to the enchanting environment of Hindi fiction books, celebrating the brilliance of storytellers which have crafted tales that transcend time and space. Within the eloquence of Premchand’s poignant realism to the fashionable-working day Hindi poetry by Harivansh Rai Bachchan, Hindi literature has continually evolved, charming audience with its capacity to mirror Modern society and articulate the complexities of the human soul.

‘क्यों बिरजू की माँ, नाच देखने नहीं जाएगी क्या?’ बिरजू की माँ शकरकंद उबाल कर बैठी मन-ही-मन कुढ़ रही थी अपने आँगन में। सात साल का लड़का बिरजू शकरकंद के बदले तमाचे खा कर आँगन में लोट-पोट कर सारी देह में मिट्टी मल रहा था। चंपिया के सिर भी चुड़ैल मँडरा फणीश्वरनाथ रेणु

'.....हर कोई दूसरे को छल रहा है और हर कोई दूसरे के द्वारा छला गया है.

अगर कबरी बिल्ली घर-भर में किसी से प्रेम करती थी तो रामू की बहू से, और अगर रामू की बहू घर-भर में किसी से घृणा करती थी तो कबरी बिल्ली से। रामू की बहू, दो महीने हुए मायके से प्रथम बार ससुराल आई थी, पति की प्यारी और सास की दुलारी, चौदह वर्ष की बालिका। भंडार-घर भगवतीचरण वर्मा

The narrative weaves jointly the life of assorted people, reflecting the unique tapestry of Varanasi, from the ghats along the Ganges on the narrow lanes pulsating with the city’s history. Which has a mixture of humour, satire, and social commentary, Kashi Ka Assi

Picture: Courtesy Amazon This is a considered-provoking novel published by Kamleshwar, a renowned Indian writer. Initially released in Hindi, the novel delves into your complicated cloth of India’s social and political landscape in the course of the tumultuous duration of partition in 1947. Kamleshwar weaves a narrative that explores the affect of partition within the life of everyday people as well as deep-rooted scars it left within the nation’s collective psyche.

चेतना लौटने लगी। साँस में गंधक की तरह तेज़ बदबूदार और दम घुटाने वाली हवा भरी हुई थी। check here कोबायाशी ने महसूस किया कि बम के उस प्राण-घातक धड़ाके की गूँज अभी-भी उसके दिल में धँस रही है। भय अभी-भी उस पर छाया हुआ है। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा है। उसे साँस अमृतलाल नागर

चूहे ने एक बार फिर कनान को मेंढक से बचाया और उसे एक जादुई पेड़ के पास ले गया जिसकी शाखाएँ नीले आकाश तक पहुंचती थीं । वापस गुफा में, जब बाघ ने देखा कि कानन गायब है, तो वह बहुत क्रोधित हुआ। आकाश में “का संगी ” नाम की एक देवी ने कनान को आश्रय दिया। दूसरी ओर का संगी को मेंढक की जादुई खाल के बारे में पता चला और उसने उसे जला दिया। जादूगर मेंढक का संगी से लड़ने के लिए आकाश में आया। 

उदाहरण के लिए इस कहानी का पहला पैरा ही देखिए :

हरियाणा में बीफ़ के शक़ में बंगाल के एक युवक की पीट-पीटकर हत्या, क्या है पूरा मामला

Impression: Courtesy Amazon A enjoy story affected with the Sikh riots of 1984, this Hindi fiction book is about its protagonist Rishi, who becomes a rioter himself though saving a Sikh relatives from riots. To know how adore survives and trumps most hard conditions, a person has to function from appreciate from your Main of his getting. The story begins with how Rishi, an orphan, and his landlord Mr. Chhabra’s daughter Manu.

पारिवारिक संबंधों के मार्मिक विघटन और बढ़ती संवेदनहीनता की यह कहानी चेखव की विख्यात कहानी 'एक क्लर्क की मौत' की तरह ही महत्वपूर्ण है.

एक दिन की बात है, दोनों खेल में लड़ते-झगड़ते दौड़ रहे थे।

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